Site icon Popular In India

Bhikhari Thakur: Bhojpuri ke Shakespeare aur Bhojpuri Ke Bhartendu

Bhikhari Thakur: Bhojpuri ke Shakespeare aur Bhojpuri Ke Bhartendu

ये पोस्ट उस महान कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता के बारे में है जिसको आज की अंग्रेजी दुनिया में हम सभी कहीं भूल गयें हैं अतः मैं अपने ब्लॉग popularinindia.com के माध्यम से उस महान हस्ती का संछिप्त परिचय कर भोजपुरी बोली बोलने वालों को बहुत ही गर्व महसूस होगा। भिखारी ठाकुर जिनको भोजपुरी का शेक्सपियर (Shakespeare) और भोजपुरी का भारतेन्दु (Bhartendu) कहा जाता है वो कौन थे और भोजपुरी जो आज है उसमें उनका कितना योगदान है।

Pic Source – siwanlocal

1: भोजपुरी बोली का परिचय

भोजपुरी मागधी अपभ्रंश के पश्चिमी रूप से विकसित हुई है। यह उत्तर प्रदेश के क्षेत्र बनारस, जौनपुर, मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर, बलिआ, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, बस्ती और उसके आस पास बोली जाती है। हिंदी क्षेत्र की बोलियों में भोजपुरी सबसे ज्यादा बोली जाती है और सर्वाधिक
फिल्में भी बनी हैं। वर्त्तमान में दूरदर्शन द्वारा अनेक धारावाहिक भी प्रसारित होते हैं। यहीं नहीं पूरे विश्व में 51 मिलियन लोग भोजपुरी बोलतें हैं। भारत के बहार भोजपुरी बोले जाने वाले देशों के नाम हैं – सूरीनाम, फिजी, मॉरिशस, गुयाना, त्रिनिदाद आदि हैं।

2: भिखारी ठाकुर एक झलक

भिखारी ठाकुर जिनको भले ही आज के लोग बहुत कम लोग जानतें होंगे या ना के बराबर जानतें होंगे उनका हिंदी साहित्य में भोजपुरी बोली में दिए गए महत्त्वपूर्ण योगदान की वजह से उनको भोजपुरी का शेक्सपियर (Shakespeare) और भोजपुरी का भारतेन्दु (Bhartendu) कहा जाता है। जिस प्रकार से शेक्सपियर (Shakespeare) ने अंग्रेजी साहित्य (अंग्रेजी साहित्य का पितामह) और भारतेन्दु (Bhartendu) जी ने हिंदी साहित्य (इनको हिंदी साहित्य का पितामह) उसी प्रकार भिकारी ठाकुर जी (इनको भोजपुरी साहित्य का पितामह) ने भोजपुरी साहित्य में योगदान दिया जिसके लिए हम सभी भोजपुरी भाषी उनका कोटि कोटि धन्यवाद देना चाहिए।

भिखारी ठाकुर जी का जन्म 18 December 1887 को कुतुबपुर(Kutubpur), छपरा, बिहार, नाई परिवार में हुआ था। भिखारी ठाकुर जी एक महान कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने करीब 29 किताबें जिसमें कवितायेँ और नाटकों भी हैं। उनके सबसे प्रसिद्ध नाटक बिदेसिया (Bidesiya) और गबरघिचोर (Gabarghichor) हैं जिनकी तुलना Bertolt Brecht’s The Caucasian Chalk सर्किल से की जाती हैं।

बिदेसिया (Bidesiya)

भिखारी ठाकुर जी द्वारा रची नाटक में उन्होंने उन्नीसवीं सदी में महिला सशक्तीकरण, पलायन और गरीबी के बारे में बताया है। इस नाटक ने उनको एक सफल लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सुदृढ़ किया।

नाटक बिदेसिया में मुख्य रूप से पाँच पात्र हैं:
बिदेसिया का महत्व – नंदिसार के राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव में हर साल बिदेसिया का मंचन किया जाता है।

नंदीकर का राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव – 1984 में शुरू किया गया था। यह 16 से 25 दिसंबर के बीच भारत के कोलकाता में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। रंगमंच समूह नंदीकर द्वारा नाम के रूप में शुरू और संगठित किया गया। यह महोत्सव ललित कला अकादमी, कलकत्ता में आयोजित किया जाता है।

भिखारी ठाकुर जी द्वारा लिखित 29 किताबें निम्नलिखित हैं।

Don’t Missed the other Stories

Exit mobile version